tag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post1827434187309612694..comments2023-10-08T11:11:00.920+01:00Comments on अनामदास का चिट्ठा: आम बगइचा आदर्श विद्यालयअनामदासhttp://www.blogger.com/profile/06852915599562928728noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-26438249345871585792008-06-21T15:29:00.000+01:002008-06-21T15:29:00.000+01:00हिल-हिलकर याद करने से दिमाग़ में बात अच्छी तरह अंट...हिल-हिलकर याद करने से दिमाग़ में बात अच्छी तरह अंटती है, जैसे मर्तबान को हिलाने से उसमें ज्यादा सामान भरा जा सकता है.<BR/><BR/>वाह !!!! क्या व्याख्या है ...! बढ़िया पोस्ट ..अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-57606585592128945922008-06-18T06:02:00.000+01:002008-06-18T06:02:00.000+01:00हर पल गुजरने के बाद कहाँ से ओढ़ लेता है नोस्टाल्जि...हर पल गुजरने के बाद कहाँ से ओढ़ लेता है नोस्टाल्जिया की खुशबू......<BR/><BR/>बेहतरीन शैली....और स्पष्ट यादें...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16964389992273176028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-79643267072430628582008-06-17T22:00:00.000+01:002008-06-17T22:00:00.000+01:00Der aayad durast aayad !! Khoob aayad, zabardast a...Der aayad durast aayad !! Khoob aayad, zabardast aayad !!! Mausam par kabhi Banwari ke aalekh padhta tha to tvacha mein jhurjhuri hone lagti thee. Ab bhi bahut barason baad vaisa hi ehsaas hua hai. Mausam ke aur rangon par bhi likhoge?<BR/><BR/>Rajesh JoshiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-49372119734983301912008-06-16T22:24:00.000+01:002008-06-16T22:24:00.000+01:00आपका पुराना मुरीद हूँ। बहुत दिनों से गायब थे, स्कू...आपका पुराना मुरीद हूँ। बहुत दिनों से गायब थे, स्कूल वाली आपकी पुरानी पोस्ट में ज्यादा रस था, ये वाला भी ठीक है लेकिन उतना मजा नहीं आया। लेकिन आप कभी भी कमाल के वनलाइनर टपका जाते है, कट्टरपंथी और रट्टरपंथी वाली लाइन जोरदार है। और लिखि<BR/><BR/>सतीश, मुंबईAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-44667017920396467892008-06-16T18:04:00.000+01:002008-06-16T18:04:00.000+01:00इस वर्ष कम पोस्ट आयी हैं आपकी. कुछ बढाइये ना. ये र...इस वर्ष कम पोस्ट आयी हैं आपकी. कुछ बढाइये ना. ये रंग-ओ-बू कम ही मिलते हैं अन्यत्र.Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-89139056257433876822008-06-16T12:31:00.000+01:002008-06-16T12:31:00.000+01:00तो... एक बार फिर से आप नॉस्टैलजिक हुए जा रहे हैं। ...तो... एक बार फिर से आप नॉस्टैलजिक हुए जा रहे हैं। <BR/><BR/>जब भी आप इस भाव में होते हैं, कुछ सुन्दर शब्द नई सजधज के साथ उतरते हैं। <BR/><BR/>बड़े दिनों बाद आज आना हुआ यहां, और आकर देखा.. कुछ सुन्दर शब्द फिर से खिले हैं।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-56380809873439461642008-06-16T12:21:00.000+01:002008-06-16T12:21:00.000+01:00bahut achcha laga aap ka aam bagayicha school........bahut achcha laga aap ka aam bagayicha school.....meri ek kavita hai sath ki ladkiyan kabhi aap ke liye chapunga....बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/09557000418276190534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-7591730437433485052008-06-16T07:25:00.000+01:002008-06-16T07:25:00.000+01:00बचपन की याद ताज़ा हो गई .सभी दोस्त उछलने कूदने लगे...बचपन की याद ताज़ा हो गई .सभी दोस्त उछलने कूदने लगे आंखों के सामने . दु दुनी चार पढ़ने वाले मे मै भी था .ये बात अलग है की अभी जीवन का एका एक ही पढ़ पाया हूँ . दु दुनी चार अभी नही हो पाया .धन्यवाद आपका अतीत मे पहुचाने का .संजय शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06139162130626806160noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-50539080635182055032008-06-16T07:24:00.000+01:002008-06-16T07:24:00.000+01:00आपका पोस्ट पढकर नोस्टैल्जिक हुआ जा रहा हूं..आपका पोस्ट पढकर नोस्टैल्जिक हुआ जा रहा हूं..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-63092968845667180972008-06-16T06:34:00.000+01:002008-06-16T06:34:00.000+01:00ऐसे ही कुछ महीने हमने भी सरस्वती विद्या मंदिर में ...ऐसे ही कुछ महीने हमने भी सरस्वती विद्या मंदिर में बिताये थे ,जहाँ कुछ महीनों में ही बेकहल आवारा काहिल और पढाईचोर हो जाने और कई बार स्कूल से बैरंग वापस ... सिर्फ इसलिये कि मास्टर साहब के किसी पारिवारिक काम की वजह से स्कूल की छुट्टी घोषित हो जाती । हमारी आवारगी और मस्ती माता पिता को देखी नहीं गई और बावज़ूद इसके कि इस स्कूल में हमें दो क्लास ऊपर दाखिला अपने ज्ञान के बलबूते मिला था ..वापस हमें राँची के मिशनरी स्कूल के रेजिमेंटेशन में , प्रिंसिपल सिस्टर रोज़लिन की प्रिय छात्रा होने की वजह से मिड सेशन , घर के बुद्धू घर को आये ..बैरंग वापस मुँह लटकाये दाखिल। <BR/>वैसी मस्ती फिर बचपन में और कभी नहीं हुई ।Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-20322382376326336922008-06-16T02:19:00.000+01:002008-06-16T02:19:00.000+01:00अच्छा संस्मरण है। रश्मि कभी फ़िर मिली बड़े होने पर?अच्छा संस्मरण है। रश्मि कभी फ़िर मिली बड़े होने पर?अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com