tag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post3782058061860550027..comments2023-10-08T11:11:00.920+01:00Comments on अनामदास का चिट्ठा: स्टार न्यूज़ पर हमला लोकतंत्र पर हमला नहींअनामदासhttp://www.blogger.com/profile/06852915599562928728noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-90025378727539438852007-04-18T07:20:00.000+01:002007-04-18T07:20:00.000+01:00गजब का लिखे हैं. एतना साहस सब नहीं दिखाते हैं. इनक...गजब का लिखे हैं. एतना साहस सब नहीं दिखाते हैं. इनको लोकतंत्र का पाठ फिर से पढ़ाना चाहिये लेकिन यह भी सच है कि बाजार के आगे लोकतंत्र अब दिखता ही नहीं है.Ramashankarhttps://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-77994506322921041702007-04-18T07:03:00.000+01:002007-04-18T07:03:00.000+01:00अच्छा है तस्वीर के इस रुख को आप सामने लाए।अच्छा है तस्वीर के इस रुख को आप सामने लाए।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-43431292023546154092007-04-18T05:28:00.000+01:002007-04-18T05:28:00.000+01:00is hamle ki hame ninda to karni hi chahiye. saath ...is hamle ki hame ninda to karni hi chahiye. saath aise programo ke baare mein bhi likhna chahiye jo samaj ko koi disha nahi de paati hain.Rajesh Roshanhttps://www.blogger.com/profile/14363549887899886585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-13365284451541121772007-04-18T04:46:00.000+01:002007-04-18T04:46:00.000+01:00सही कहा आपने । लेकिन जल्दी में हमले की नई निंदा कै...सही कहा आपने । लेकिन जल्दी में हमले की नई निंदा कैसे करें ध्यान नहीं आया होगा । सोच कर देखा जाना चाहिए कि कहते क्या । हिंदू सेना ने ठीक नहीं किया । हमें पसंद नहीं । ऐसे हमले से हम डरने वाले नहीं । उन्हें अपनी बात रखनी थी तो किसी और तरीके से विरोध कर सकते थे । हिंसा ठीक नहीं । प्रेस की आज़ादी सबके हित में हैं । मुझे लगता है निंदा भर्त्सना के समय में नई अभिव्यक्ति की तलाश होनी चाहिए । वरना जैसा आपने कहा है..फिसल पड़े तो हरगंगे ।ravishndtvhttps://www.blogger.com/profile/02492102662853444219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-91344800101768824312007-04-18T04:41:00.000+01:002007-04-18T04:41:00.000+01:00वाह भाई, बहुत खूब!आपने घटना को घिसे-पिटे तरीके से ...वाह भाई, बहुत खूब!<BR/><BR/>आपने घटना को घिसे-पिटे तरीके से देखने के बजाय नयी दृष्टि से देखा है। मेडिया को पवित्र मानना भारी वेवकूफ़ी है, जनता को मूर्ख बनाना है।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-46848116839580161872007-04-18T04:27:00.000+01:002007-04-18T04:27:00.000+01:00यही तो मजबूरी है कि असल बात को भाई लोग गुल कर जाते...यही तो मजबूरी है कि असल बात को भाई लोग गुल कर जाते हैं और अपनी सहुलियत के हिसाब वजनदार जुमले गढ़ लेते हैं। बेशर्मी की हद तो तब हो जाती है जब संसद पर हमले को लोकतंत्र पर हमला मानने वाले उन्हीं हमलावरों की पैरवी में सड़कों पर उतर आते हैं। हद हो गई बेईमानी की। आश्चर्य नहीं होगा यदि कल को कोई टीआरपी पीड़ित पत्रकारिता की दुकान इन्हीं गुंड़ों के हवाले से लोकहित (दुकानदारों के शब्द) में कोई स्टोरी चलाने लगे। कभी-कभी तो लगता है कि इस देश में कोई बहुत बड़ी भगदड़ मची है... लेकिन यकीन है ये सब ज्यादा दिन चलने वाला नहीं... सबकुछ बदलेगा। एक सार्थक बदलाव जल्दी ही होगा।SHASHI SINGHhttps://www.blogger.com/profile/15088598374110077013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-26987773853415290662007-04-18T03:22:00.000+01:002007-04-18T03:22:00.000+01:00आप जो काम कर रहे हैं, उसमें इनहैरेण्ट रिस्क होता ह...आप जो काम कर रहे हैं, उसमें इनहैरेण्ट रिस्क होता ही हैं. टीटीई अगर टिकट चेक करता है तो कभी-कभी मार भी खा सकता है. उसकी तनख्वाह में मार खाने का हिस्सा भी है. लेथ मशीन पर काम करने वाला कभी चोट खा सकता है. न खाना चाहे तो दूसरा काम कर ले. इसी तरह टीवी वाला हमेशा टाई पहन चमकता थोड़े रहेगा. सब को जबान से लतियाता है - कभी तो लात खायेगा. उसके मुनाफे में लात खाने का हिस्सा भी है. रिस्क मेनेजमेंट करना हो तो इंश्योरेंश कराले. यहां लोकतंत्र कहां से आ गया?Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com