tag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post4635970455042699470..comments2023-10-08T11:11:00.920+01:00Comments on अनामदास का चिट्ठा: 'दलालों के शहर' दिल्ली के नाम कुछ क़सीदेअनामदासhttp://www.blogger.com/profile/06852915599562928728noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-38900600405165264392007-04-04T16:21:00.000+01:002007-04-04T16:21:00.000+01:00प्रिय अनामदास जी,आपकी गुमनामियों में आकर.. और अभय ...प्रिय अनामदास जी,<BR/>आपकी गुमनामियों में आकर.. और अभय के सलोनेपन से निकलकर.. लगता है इस आभासी दुनिया की भी दिशाएं हैं.. ख़्याल करके अच्छा लगता है.. आड़ी-तिरछी लकीरें खींचते रहें.. ज्यादातर यहां लाल बत्ती पर ही खड़े रहते हैं.. और खिंचे-खिंचे रहते हैं..azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-16835158120752376582007-04-02T09:30:00.000+01:002007-04-02T09:30:00.000+01:00""यूँ ही नोटपैड पर आड़ी-तिरछी लकीरें खींचता रहा और...""यूँ ही नोटपैड पर आड़ी-तिरछी लकीरें खींचता रहा और रास्ता खुलने का इंतज़ार करता रहा""<BR/><BR/><BR/>---आप तो हमारे ब्लाग पर आए ही नही। कहे झूठ बहका रहे है!:)सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/10694935217124478698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-45206990654062610002007-04-02T08:26:00.000+01:002007-04-02T08:26:00.000+01:00आपका दिल्ली-तज़ुर्बा बिलकुल मेरे जैसा है। कहीं ऐसा ...आपका दिल्ली-तज़ुर्बा बिलकुल मेरे जैसा है। कहीं ऐसा तो नहीं सभी दिल्लीवासी ऐसे ही तज़ुर्बेकार हैं? खैर आपकी क्षणिकाएँ पसंद आयीं। विशेषरूपेण-<BR/><B>नए लोग<BR/>नई गाड़ियाँ<BR/>दोनों भागते हैं<BR/>अलग-अलग रास्ते.</B>शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-64720373684011596692007-04-02T05:35:00.000+01:002007-04-02T05:35:00.000+01:00कुछ लोग फूटते ही दूसरों पर फेंकने लगते हैं, कुछ उस...कुछ लोग फूटते ही दूसरों पर फेंकने लगते हैं, कुछ उसमें से मोती चुनते हैं और कुछ कचरा समझकर किनारे हटा देते हैं<BR/>.....................<BR/>कुछ फ्लाईओवर पर हैं<BR/>ज़्यादातर लाल बत्ती पर.<BR/><BR/>बढ़िया !!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16964389992273176028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-65153294184981917062007-04-02T04:41:00.000+01:002007-04-02T04:41:00.000+01:00"""यूँ ही नोटपैड पर आड़ी-तिरछी लकीरें खींचता रहा औ..."""यूँ ही नोटपैड पर आड़ी-तिरछी लकीरें खींचता रहा और रास्ता खुलने का इंतज़ार करता रहा."""<BR/><BR/><BR/>आप ने तो हमारे ब्लाग पर एक भी पदचिह्न नही छोडा । रेखाएं तो दूर की बात है ।<BR/>खैर,अब आ जाइएगा।सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/10694935217124478698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-63415209754766803492007-04-02T04:25:00.000+01:002007-04-02T04:25:00.000+01:00क्या ख़ूब , अनामदासजी ।क्या ख़ूब , अनामदासजी ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-31043781114405616542007-04-02T02:48:00.000+01:002007-04-02T02:48:00.000+01:00सही है यही तरीका है पुराना माल निकालने का! आगे भी ...सही है यही तरीका है पुराना माल निकालने का! आगे भी लिखें!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com