tag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post5235538918586182051..comments2023-10-08T11:11:00.920+01:00Comments on अनामदास का चिट्ठा: जो न हो सका उसकी तलाश है मुझेअनामदासhttp://www.blogger.com/profile/06852915599562928728noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-83480095714709408452007-06-21T08:19:00.000+01:002007-06-21T08:19:00.000+01:00कहने को बहुत है...और शब्द बहुत कम....उन्ही में कहन...कहने को बहुत है...और शब्द बहुत कम....उन्ही में कहने की कोशिश करती हूँ...कोई प्रोफेसर ने पीठ थपथपाई हो ऐसा लगता है....शुक्रिया!!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16964389992273176028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-13078304264128741772007-06-20T12:06:00.000+01:002007-06-20T12:06:00.000+01:00उहलोक वाला बना रहे और देता रहे ऐसा तत्त्वज्ञान। इह...उहलोक वाला बना रहे और देता रहे ऐसा तत्त्वज्ञान। इहलोक पर भी असरकारी होगा इहलोक का - यह अ-सरकारी आधार-बयान ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-22192510270239644592007-06-20T10:16:00.000+01:002007-06-20T10:16:00.000+01:00आगे के आलाप विलाप प्रलाप में दिलचस्पी रहेगी ।और टर...आगे के आलाप विलाप प्रलाप में दिलचस्पी रहेगी ।और टरके हुये जीवों को भी प्राणवायु देते रहिये बीच बीच में ।Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-85403269991613341322007-06-20T08:59:00.000+01:002007-06-20T08:59:00.000+01:00बेजीबहुत सुंदर, अक्सर आप ऐसा करती हैं. दंग रह जाता...बेजी<BR/>बहुत सुंदर, अक्सर आप ऐसा करती हैं. दंग रह जाता हूँ, जो बातें कहने में लोगों के हज़ार शब्द खर्च होते हैं उन्हें आप इतनी कंजूसी से कह डालती हैं. कमाल है.अनामदासhttps://www.blogger.com/profile/06852915599562928728noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-82753838546894472832007-06-20T05:20:00.000+01:002007-06-20T05:20:00.000+01:00मेरे और मन के ख्याल मिलते नहींउलझते हैं अक्सर कौन ...मेरे और मन के ख्याल मिलते नहीं<BR/>उलझते हैं अक्सर कौन है सही<BR/><BR/>मुझे तैरने का डर<BR/>इसे डूबने की आदत...<BR/><BR/>मुझे ठहरना पसन्द<BR/>उड़ना इसकी ताकत ...<BR/><BR/><BR/>मैं अहम को पहनाऊँ पोशाक<BR/>इसके नग्न जज़्बात...<BR/><BR/>मैं स्थिर समर्थ अस्तित्व<BR/>इसके क्षणभिंगुर हालात...<BR/><BR/>मैं समय के अनुसार<BR/>इसकी अलग बिसात...<BR/><BR/>इसके सब रास्ते नये<BR/>मैं नक्शे के साथ...<BR/><BR/>मुझे भूत से प्यार<BR/>यह भविष्य पर लगाये घात...<BR/><BR/>मुझे नींद से आराम<BR/>इसका सपनों से साथ...<BR/><BR/>माँ से शिकायत की थी<BR/>यह कैसी आफत<BR/>माँ कहती ....तेरा मन चंचल<BR/>सँभल जायेगा समय के साथ<BR/><BR/>...पर.....<BR/>मेरे और मन के ख्याल मिलते नहीं<BR/>उलझते हैं अक्सर कौन है सही!!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16964389992273176028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-88903349204754402862007-06-20T03:52:00.000+01:002007-06-20T03:52:00.000+01:00चलिए, नेक्स्ट इन्सटॉलमेंट लाइए!.. जल्दी!चलिए, नेक्स्ट इन्सटॉलमेंट लाइए!.. जल्दी!azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6853758773001535028.post-89647665790378366382007-06-20T03:51:00.000+01:002007-06-20T03:51:00.000+01:00जो आपको धमकाते हैं उनको पता नहीं है कि उनकी भी पोल...जो आपको धमकाते हैं उनको पता नहीं है कि उनकी भी पोल-पट्टी है जिसका उनको भी पता नहीं। आप मस्त रहिये!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com