सभी ब्लॉगर भाइयों को नमस्कार.
अगर कोई निरा पाठक हो तो उसे भी नमस्कार, संभावना कम ही है मगर नमस्कार कर लेने में क्या हर्ज़ है. मैं अक्सर सोचता हूँ इतने ब्लॉग क्यों लिखे जा रहे हैं, आकाशवाणी के मनचाहे गीत कार्यक्रम में फ़रमाइश भेजकर झुमरी तलैया और बरकाकाना के साथ-साथ अपना नाम भी रोशन करने वाले लोगों में और ब्लॉग लिखने वालों में कितना फ़र्क़ है....बुरा मत मानिएगा...मैं भी उसी श्रेणी में हूँ, तभी तो ब्लॉग लिख रहा हूँ. हाँ तो मैं कह रहा था...आप लिखें, आप ही पढ़ें या काक-कोकिल परस्पर प्रशंसा क्लब चलाएँ...अहो रूपं-महो ध्वनि. बताइए कि लोग ब्लॉग क्यों पढ़ें, सिवाए उसके जिसने लिखा हो या जो लिखने वाले का मित्र हो या जो बिल्कुल बेकार बैठा हो. आजकल हर चैनल कहता है---हमारे पत्रकार बनिए, हमारे फोटोग्राफ़र बनिए...यूज़र जेनरेटेड कॉन्टेट की बात हो रही है...लेकिन जिस यूज़र ने जेनरेट किया है उसके अलावा उसमें किसी और की भी रुचि होगी या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है. मैं अपना समय किसी रामपुर के रामलाल की राय सुनने में व्यर्थ नहीं करना चाहता...क्या आप चाहते हैं? ब्लॉग के ज़रिए जो विचार-वमन हो रहा है उस पर आप क्या सोचते हैं अनामदास को ज़रुर बताइए, बहुत इंतज़ार है.
12 टिप्पणियां:
चिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है। हम चिट्ठाकारों के बीच आपका आना विशेष प्रसन्नता की बात है। आपके व्यापक अनुभव से निश्चित ही चिट्ठाकारी समृद्ध होगी और इसे नई दिशा भी मिलेगी।
आपने जो सवाल पूछे हैं, उसके उत्तर हमारे कई साथी जरूर देना चाहेंगे। वैसे, पिछले चार वर्षों में यह सवाल-जवाब इतनी बार पहले ही हो चुका है कि इन प्रश्नों पर कुछ लोगों की प्रतिक्रिया अनपेक्षित भी हो सकती है।
लेकिन मुझे विश्वास है कि धीरे-धीरे आपको अहसास हो जाएगा कि ये चिट्ठाकार इतने अपरिपक्व भी नहीं हैं। इनमें से अधिकांश भारत के सबसे अधिक जागरूक और सक्रिय युवा हैं, जिनकी आवाज महत्वपूर्ण है।
अनामदास जी, हिन्दी चिट्ठाकारी में आपका स्वागत है।
अनामदास जी हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है। आपके मन में उठ रहे प्रश्न स्वाभाविक हैं। ऐसा नए (हिन्दी)चिट्ठाकार के साथ अक्सर होता है। समय बीतने के साथ साथ आप हिन्दी चिट्ठाजगत की कमियाँ-खूबियाँ खुद ही समझ जाएंगे।
आपके कुछ प्रश्नों के उत्तर तो आपको रवि जी के इस लेख तथा यहाँ में मिल जाएंगे बाकी आप लिखते पढ़ते रहिए खुद ब खुद सब समझ जाएंगे।
नम्स्कार!
आपका स्वागत है।
मेरे अनाम भाई, आपका भी जरूर कुछ नाम होगा... चलिये वक़्त आने पर बता दीजियेगा। मैं आपकी मजबूरी जानता हूं इसलिए आपके अनाम रहते हुये भी आपका यहां होना मुझे सुकून दे रहा है। अभी-अभी तो आयें हैं... आते ही इतना गंभीर सवाल? जवाब है हमारे पास... जवाब दूंगा भी, मगर जब आप यहां थोड़ा वक़्त बीतायें।
वैसे रजरप्पा/रामगढ़ के एक वासी को लंदन से बरकाकाना और झुमरी तिलैया शब्द का इस्तेमाल दिल को छू गया।
आइए अनामदास जी,
हार्दिक स्वागत है। अपने साथ दूसरों को भी लाइए ना। उम्मीद है कुछ अच्छा पढने को मिलेगा।
ब्लॉगिंग की दुनिया मे आपका स्वागत है अनामदास जी ! आपका शुरुआती ब्लॉग ही अच्छा लगा, आगे और भी अच्छा पढ़ने को मिलेगा ऐसी उम्मीद करता हूँ । आपके सवालों का सीधा उत्तर तो नही दे रहा हूँ लेकिन देखिये, मैने आपका ब्लॉग पढ़ा भी और टिप्पणी भी कर रहा हूँ । (लेकिन कृपा कर के इससे ये निष्कर्ष मत निकालियेगा की मै बेकार आदमी हूँ और मेरे पास बहुत खाली समय है । हा ! हा ! हा ! )
यदि आप चाहते हैं कि आपका लिखा हुआ और भी बहुत से लोगों तक पँहुचे तो http://narad.akshargram.com पर पंजीकरण करा लें ।
हाँ, अब एक बात और कि मुझे आपके ब्लॉग मे क्या अच्छा लगा । असल मे मै वर्षों से विविध भारती का नियमित श्रोता हूँ और बरकाकाना (या बरकाताना, जो भी है) का नाम, हजारों बार सुन चुका हूँ लेकिन ये नही मालूम कि ये जगह है कहाँ । जानने कि कोशिश भी नही करी कभी । आपने लिखा उसके बारे मे तो मुझे अनायास ही हँसी आ गयी ।
चलिये फ़िर लिखते रहिये और पढते रहिये ।
- अभिषेक
"...यूज़र जेनरेटेड कॉन्टेट की बात हो रही है...लेकिन जिस यूज़र ने जेनरेट किया है उसके अलावा उसमें किसी और की भी रुचि होगी या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है. मैं अपना समय किसी रामपुर के रामलाल की राय सुनने में व्यर्थ नहीं करना चाहता..."
बिलकुल सही कहा आपने. अब मुझे भी अपने ब्लॉग-लेखन की धीर-गंभीर समीक्षा करनी होगी.
स्वागत है अनामदास जी, तेवर देख कर आशा कर सकते है कि कुछ अलग सा पढ़वायेंगे आप। कहते हैं कि लिखा हुआ कभी व्यर्थ नही जाता। आपके मन मे उमड़-घुमड़ रहे सवालों के जवाब में और क्या कहूं।
शुभकामनाओं के साथ
स्वागत है अनामदासजी आपका हमारी तरफ़ से भी। अनामदास का पोथा पढ़ने का मन करेगा।
स्वागत है..और उम्मीद है आप नियमित तौर पर विचार-वमन करते रहेंगे..
ब्लोगवी दुनिया मे आपका हार्दिक स्वागत !! आशा है आप किनारे किनारे नही रहेंगे बल्कि बीच बहस के मुद्दे बनेंगे और बनाएँगे भी , एक बार फिर से स्वागत !
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